वृद्धिरेचि ६।१।८८॥

  • इको यण् अचि।

इस सूत्र में अचि यह पद है। इस पद की अनुवृत्ति इन दोनों सूत्रों में होती है।

  • एचोऽयवायावः (अचि)।
  • आद् गुणः (अचि)।

परन्तु वृद्धिरेचि इस सूत्र में अचि की अनुवृत्ति नहीं है। अपितु आद्गुणः से आद् की अनुवृत्ति होती है। और अचि की अनुवृत्ति की जगह पर एचि यह नया पद इस सूत्र में मौजूद है।

 (आद्) वृद्धिरेचि।

  • (आद्) वृद्धिः एचि।

अचि और एचि में क्या अन्तर है?

अचि vs एचि

अच् vs एच्

  • अच् – अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ
  • एच् – ए ओ ऐ औ

सूत्रच्छेदः

वृद्धिरेचि

वृद्धिः एचि

अनुवृत्तिः

आत् (आद्गुणः इस सूत्र से)

अधिकारः

एकः पूर्वपरयोः

सम्पूर्णसूत्रम्

(आत्) वृद्धिः (एकः पूर्वपरयोः) एचि।

सूत्र का अर्थः

अ से – वृद्धि होती है – पूर्व और पर दोनों की जगह पर एक –  एच् में

उदाहरण

न + एक

  • न + ए
  • न् + अ + ए …. वृद्धिरेचि।
  • न् + वृद्धिः …. वृद्धिरादैच्।
  • न् + /ऐ/ …. स्थानेऽन्तरतमः।
  • न् + ऐ
    • नै

न + एक = नैक

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