वर्णों का उच्चारण काल अर्थात् किस वर्ण की कितनी मात्राएं होती हैं?

हमारी संस्कृत वर्णमाला में स्वर और व्यंजन ऐसे दो स्पष्ट विभाग दिखते हैं। इन में से स्वरों के तीन प्रकार हैं – ह्रस्व, दीर्घ और प्लुत। निम्न कारिका में तीनों प्रकार के स्वरों के और व्यंजनों के काल के बारे में जानकारी मिलती है। कारिका एकमात्रो भवेद्ध्रस्वो द्विमात्रो दीर्घ उच्यते।त्रिमात्रस्तु प्लुतो ज्ञेयः व्यञ्जनं त्वर्धमात्रिकम् ॥ … Read more

संस्कृत वर्णमाला में ळ

ज़्यादातर दाक्षिणात्य भाषाओं में ळ यह व्यंजन देखा जाता है। लेकिन जहा तक संस्कृत की बात करते हैं तो किंचित् सोचना पडता है। वेद संस्कृत के प्राचीनतम साहित्य हैं। और ऋग्वेद की शुरआत में ही – ओ३म् अग्निमीळे पुरोहितम् …. इस तरह से पहले मन्त्र में ळ का प्रयोग (अर्थात्, बाद में भी बहुत बार) … Read more

व्यंजन किसे कहते हैं?

व्यंजन की व्याख्या उस ध्वनि को व्यंजन कहते हैं जिसका उच्चारण करने के लिए किसी स्वर की आवश्यकता होती है। जैसे – क् हम क् यह ध्वनि मुंह से नहीं निकाल सकते। हमें इसके लिए किसी स्वर की आवश्यकता होगी। फिर चाहे वह आगे हो या पीछे। जैसे – क् + अ – क अ … Read more

अंग्रेजी, उर्दू और चीनी लिपि की तुलना में देवनागरी

देवनागरी लिपि देवनागरी लिपि का प्रयोग संस्कृत, हिन्दी, मराठी, नेपाली इत्यादि भाषाओं को लिखने के लिए किया जाता है। अर्थात् अब आप यह लेख जो पढ़ रहे हैं उस की भाषा तो हिन्दी है, परन्तु इस कि लिपि देवनागरी है। तथा गुजराती, बंगाली, पंजाबी लिपियाँ देवनागरी से मिलती जुलती हैं। और दक्षिणी लिपियों में भी … Read more