जश्त्व सन्धि

इस सन्धि का दूसरा नाम जश्त्व सन्धि भी है। जश्त्व सन्धि का सूत्र वर्गीय प्रथमवर्ण + मृदु वर्ण = वर्गीय प्रथमवर्म –>> वर्गीय तृतीयवर्ण यदि वर्गीय प्रथम वर्ण के बाद कोई भी मृदु वर्ण आता है, तो उस वर्गीय प्रथम वर्ण का परिवर्तन हो कर उसकी जगह पर वर्गीय तृतीय वर्ण आ जाता है। वर्गीय … Read more

रुत्व सन्धि

इस सन्धि में विसर्ग के स्थान पर रुँ यह आदेश होता है। तथापि यहां जो उँ यह स्वर है वह इत् होने की वजह से उसका लोप हो जाता है। अतः केवल र् बचता है। अर्थात् विसर्ग के स्थान पर केवल र् इतना ही आदेश बाकी रह जाता है। इसीलिए बहुतेरे लोग इस सन्धिकार्य को … Read more

उत्व सन्धि

यहां एक और बात ध्यान में रखनी है कि विसर्ग का उत्व होने के बाद (यानी उ बनने के बाद) विसर्ग के पूर्ववर्ती अ के साथ गुण सन्धि के कारण ओ बन जाता है। अतः उत्व सन्धि में सन्धि प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होगी

प्रकृतिभाव सन्धि

प्रकृतिभाव सन्धि के सूत्र और उदाहरण – प्रकृतिभाव सन्धि का सूत्र – ईकारान्त पद + स्वर – प्रकृतिभाव ऊकारान्त पद + स्वर – प्रकृतिभाव एकारान्त पद + स्वर – प्रकृतिभाव प्रकृतिभाव सन्धि के उदाहरण उपर्युक्त तीनों सूत्रों के अनुसार हम प्रकृतिभाव सन्धि के क्रमशः तीन उदाहरण दे रहे हैं – हरी + आगच्छतः – हरी … Read more

पररूप सन्धि

पररूप सन्धि के सूत्र और उदाहरण – पररूप सन्धि के दो सूत्र हैं – अकारान्त उपसर्ग + ए – ए अकारान्त उपसर्ग + ओ – ओ पररूप सन्धि के उदाहरण उपर्युक्त दोनों सूत्रों के अनुसार हम पररूप सन्धि के क्रमशः दो उदाहरण दे रहे हैं – प्र + एजते – प्रेजते उप + ओषति – … Read more

पूर्वरूप सन्धि

पूर्वरूप सन्धि के सूत्र और उदाहरण – पूर्वरूप सन्धि के दो सूत्र हैं – पदान्त ए + अ – ए पदान्त ओ + अ – ओ पूर्वरूप करने के बाद संस्कृत लिखान की परम्परा के अनुसार अवग्रह (ऽ) भी लिखा जाता है। हालांकि यह अनिवार्य नहीं है। पूर्वरूप सन्धि के उदाहरण उपर्युक्त दोनों सूत्रों के … Read more

सवर्ण दीर्घ सन्धि

सन्धिप्रकरण में आप का स्वागत है। जब भी हिन्दी, मराठी, संस्कृत आदि भाषाओं में छात्रों को संधि पढाए जाते हैं, तो प्रायः सवर्ण दीर्घ सन्धि ही पढाते हैं। यूँ तो इस सन्धि का नाम सवर्णदीर्घ सन्धि है, तथापि बहुत बार इसे संक्षेप से केवल दीर्घ सन्धि इतना कह देने से काम चल जाता है। सवर्णदीर्घसन्धि … Read more

अयादि सन्धि

अयादि सन्धि का वीडिओ – यदि आप अयादि सन्धि को लिखित रूप में पढ़ना चाहते हैं, तो इस लेख को पढ़ते रहिए। अयादि संधि के सूत्र यदि पाणिनीय अष्टाध्यायी का अभ्यास करें तो महर्षि पाणिनी जी ने एचोऽयवायावः इस सूत्र से अयादि संधि को समझाया है। तथापि शालेय छात्रों की मदद के लिए हम यहाँ … Read more

पाणिनीय धातुपाठ। पारायण के लिए

महर्षि पाणिनि जी ने अपने धातुपाठ में लगभग २००० धातुएं समाविष्ट की है। इन सभी धातुओं का यह संग्रह यहा मौजूद है। आशा है कि संस्कृतप्रेमी, शिक्षक तथा छात्रों को मददगार साबित हो। भ्वादि गण १।१ भू सत्तायाम् १।२ एधँ वृद्धौ १।३ स्पर्धँ सङ्घर्षे १।४ गाधृँ प्रतिष्ठालिप्सयोर्ग्रन्थे च १।५ बाधृँ लोडने विलोडने १।६ नाधृँ याच्ञोपतापैश्वर्याशीष्षु … Read more