अन्वय – संस्कृत में अन्वय कैसे करें?

संस्कृत भाषा में पदों का वाक्य में स्थान ज़्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं होता है। वे इधर-उधर बिखरे पड़े हो सकते हैं। उन पदों को तर्कदृष्ट्या योग्य क्रम से पुनः लिखने को अन्वय कहते हैं। जिस से संस्कृत श्लोक तथा वाक्यों को समझने में आसानी हो सके। अन्वय क्रम में श्लोक अथवा वाक्य का अर्थ अधिक स्पष्ट … Read more

तृतीया विभक्ति – संस्कृत

तृतीया विभक्ति का कारक अर्थ करण होता है। करण के बारे में संस्कृत भाषा में कहा गया है – साधकतमं करणम्। अर्थात् किसी भी क्रिया को करने के लिए जो सबसे ज्यादा सहायता करता है उसे करण कहते हैं। और करण को तृतीया विभक्ति होती है। हिन्दी भाषा में तृतीया विभक्ति के चिह्न हैं – … Read more

पंचमी विभक्ति – संस्कृत

संस्कृत भाषा में अलगाव (separation) दिखाने के लिए पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है। जिसे संस्कृत भाषा में अपादान कहते हैं। अर्थात् हिन्दी भाषा में जहाँ पर ‘से’ इस जिह्न का प्रयोग होता है, वहाँ संस्कृत भाषा में पञ्चमी विभक्ति का प्रयोग होता है। अंग्रेजी की बात करें तो अंग्रेजी के from इस शब्द के … Read more

गच्छत् शब्द रूप

गच्छत् शब्द का अर्थ गच्छत् का अर्थ है – जो जा रहा है अथवा जानेवाला। गच्छत् एक शत्रन्त शब्द है। अर्थात् शतृ जिसके अन्त मैं है वह शत्रन्त (शतृ + अन्त – शत्रन्त)। शतृ प्रत्यय किसी भी धातु को लगाकर शत्रन्त बानाने का तरीका जानने के लिए हमने यह लेख लिखा है – शतृ प्रत्यय … Read more

शतृ प्रत्यय (सरल अध्ययन)

मूलतः शतृ प्रत्यय का अर्थ वर्तमान काल है। वैसे तो संस्कृत भाषा में वर्तमान काल के लिए लट् लकार का प्रयोग करते हैं। तथापि लट् लकार के स्थान पर शतृ प्रत्यय का भी प्रयोग कर सकते हैं। और साथ ही शतृ प्रत्यय का प्रयोग भविष्यत् काल (लृट् लकार) (Future tense) के लिए भी हो सकता … Read more

क्त प्रत्यय

संस्कृत व्याकरण में, आम संस्कृत संभाषण में क्त और क्तवतु इन दोनों प्रत्ययों का बहुत प्रयोग किया जाता है। इन दोनों प्रत्ययों का प्रयोग भूतकाल व्यक्त करने के लिए करते हैं। हम इस लेख में क्त इस संस्कृत प्रत्यय का अभ्यास करने वाले हैं। क्तवतु प्रत्यय के अध्ययन हेतु इस लेख को पढ़िए –https://kakshakaumudi.in/प्रत्यय/कृदन्त/क्तवतु-प्रत्यय/ क्त … Read more

उत्तम पुरुष वाच्यपरिवर्तनम्

अहम् आवाम् वयम् इन तीनों को उत्तम पुरुष कहते हैं।   एकवचन द्विवचन बहुवचन प्रथमा अहम् (मैं) आवाम् (हम दोनों) वयम् (हम सब) द्वितीया माम् (मुझे) आवाम् (हम  दोनों को) अस्मान् (हम सब को) तृतीया मया (मेरे द्वारा) आवाभ्याम् (हम दोनों के द्वारा) अस्माभिः (हम सब के द्वारा) लट् लकार – उत्तमपुरुषी प्रत्यय परस्मैपद – … Read more

मध्यम पुरुष वाच्य

सूत्र कर्तृवाच्य – (कर्ता + प्रथमा) (कर्म + द्वितीया) (क्रिया – धातु + परस्मैपद/आत्मनेपद) कर्तृवाच्य में क्रिया कर्ता के अनुरूप होती है। कर्मवाच्य – (कर्ता + तृतीया) (कर्म + प्रथमा) (क्रिया – धातु + य + आत्मनेपद) कर्मवाच्य में क्रिया कर्म के अनुरूप होती है। उदाहरण   १ २. २+ प्रथमा त्वम् – सि/से युवाम् … Read more

अभ्यास 1 वाच्य परिवर्तन

1. कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग (Active voice) सूत्र – (कर्ता + प्रथमा) (कर्म + द्वितीया) (धातु + लकार) नियम – कर्तृवाच्य के वाक्य में कर्ता का जो पुरुष और वचन होता है वही पुरुष और वचन क्रियापद का भी होता है। उदाहरण बालक श्लोक लिखता है। बालकः श्लोकं लिखति। 2. कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive … Read more

लोट् लकार

लोट् लकार का प्रयोग आज्ञा देने के लिए होता है। यदि आप किसी को आज्ञा देना चाहते हैं, तो धातु से लोट् लकार होता है। लोट् लकार के प्रत्यय हर लकार की तरह लोट् लकार के भी परस्मैपदी तथा आत्मनेपदी ऐसे दो प्रकार के प्रत्यय होते हैं। तथा उभयपदी धातुओं से दोनों भी प्रकार के … Read more