यदि-तर्हि

इन दोनों अव्ययों को उभयान्वयी अव्यय (Conjuction) माना जाता है। अर्थ यदि तर्हि अर्थात् ये यदि-तर्हि दो वाक्यों को जोड़ सकते हैं। इनका प्रयोग if…..then….. के जैसा होता है। जैसे कि – यदि तर्हि के उदाहरण संस्कृत से हिन्दी में यदि तर्हि के उदाहरण यदि मेघाः आगच्छन्ति, तर्हि वर्षा भविष्यति। यदि जलम् अस्ति, तर्हि जीवनम् … Read more

यावत्-तावत्

इन दोनों अव्ययों को उभयान्वयी अव्यय (Conjuction) माना जाता है। अर्थ यावत् जबतक तावत् तबतक अर्थात् ये यावत्-तावत् दो वाक्यों को जोड़ सकते हैं। जैसे कि – उदाहरण यावत् मेघाः सन्ति, तावत् वर्षा भविष्यति। जबतक बादल हैं, तबतक बारिश होंगी। यावत् जलम् अस्ति, तावत् जीवनम् अस्ति। जबतक पानी है, तबतक जीवन है। यावत् परिश्रमिणः मनुष्याः … Read more

इतस्ततः (इतः-ततः)

यह दिखने में एक अव्यय है। परन्तु वस्तुतः ये दो अव्यय हैं जो सत्व सन्धि से जुड़े हैं।

वृथा

वृथा का अर्थ क्या है? वृथा एक संस्कृत अव्यय है। इसका अर्थ इस प्रकार है – बेकार बेवजह अकारण Useless बिना फायदे के वृथा इस अव्यय के उदाहरण जलं विना जीवनं वृथा भवति। पानी के बिना जीवन बेकार होता है। छात्राणां समयः अध्ययनं विना वृथा मा गच्छेत्। छात्रों का समय बिना पढ़ाई के बेकार नहीं … Read more

शनैः

शनैः इस अव्यय की द्विरुक्ति हो सकती है। यानी हम इस अव्यय को एक ही वाक्य में दो बार बोल सकते हैं।

भ्वादिगण धातु १-२००

भ्वादि गण पाणिनीय धातुपाठ में पहला गण है। इस गण का आरंभ भू धातु से होता है। इसीलिए इस गण का नाम भ्वादि (भू + आदि) गण है। इस लेख में भ्वादि गण के धातु क्र॰ १ से २०० तक दिए गए हैं।

तुमुन् प्रत्यय – संस्कृत

कई शिक्षक इस प्रत्यय को आसानी से समझाने के लिए धातुओं की चतुर्थी विभक्ति भी कहते हैं। क्योंकि हिन्दी में अनुवाद करते समय तुमुन् प्रत्यय का अर्थ – के लिए ऐसा लेते हैं। लेकिन मूल संस्कृत में इसका अर्थ अलग ही बताया है।