शालेय संस्कृत विद्यार्थी को क्या क्या कण्ठस्थ करना चाहिए?

प्रायः जो शालेय छात्र होते हैं, उनको संस्कृत शिक्षक हमेशा कुछ ना कुछ रटने के लिए दे ही देते हैं। जैसे विभक्ति या लकार कि तालिकाएं। और उन्हें बार-बार रट के याद रखना पड़ता है। और बहुत सारे विद्यार्थी इससे परेशान हो जाते हैं। वस्तुतः इतनी सारी तालिकाओं को रटने की आवश्यकता नहीं होती है। … Read more

शतृ प्रत्यय (ससूत्र अध्ययन)

इस लेख में हम शतृ प्रत्यय का ससूत्र अध्ययन (सूत्रों के साथ। यहाँ सूत्रों से हमारा तात्पर्य है पाणिनीय अष्टाध्यायी के सूत्र) कर रहे हैं। अतः यह लेख किंचित् विस्तृत होगा। परन्तु यदि आप शतृ प्रत्यय का संक्षित्प और सरलता से अध्ययन करना चाहते हैं, तो इस लेख को पढ़िए, जिसमें शतृँ प्रत्यय को हम … Read more

क्त्वा – ल्यप् प्रत्यय। अर्थ-उदाहरण। Ktwa-Lyap Meaning – Examples

क्त्वा – ल्यप् प्रत्यय क्या हैं इस चित्र को देखिए – इस चित्र में एक बालक है जो देख कर लिख रहा है। अर्थात् यहाँ दो कार्य किए जा रहे हैं। – परन्तु यहाँ महत्त्वपूर्ण बात यह है कि एक ही कर्ता इन दोनों क्रियाओं को कर रहा है – बालक। इस चित्र का वर्णन … Read more

उपसर्ग – Upsarga – Sanskrit Prefix – Trick to remember

जब भी उपसर्गों की बात होती है, तब उपसर्गों के साथ प्रत्ययों (Suffix) की भी बात होती है। क्योंकि ये दोनों भी एक दूसरे के विरुद्ध हैं। यहाँ इस लेख में हम केवल उपसर्गों के बारे में बात करने वाले हैं। प्रत्ययों के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक कीजिए। शब्दों से पूर्व … Read more

निःशुल्क ऑनलाईन संस्कृत कक्षा, शालेय छात्रों के लिए – Free Online Sanskrit Class for students

हरिः ॐ नवंबर महीने में CBSE कक्षा 10 की प्रथम सत्र परीक्षाएं होने वाली हैं। दि॰ 22 को संस्कृत विषय की परीक्षा होना निर्धारित है। जिन छात्रों ने इस परीक्षा में संस्कृत को द्वितीय भाषा के रूप में संस्कृत को चुना है। उन की मदद के लिए हम ने निःशुल्क ऑनलाईन संस्कृत कक्षा का आयोजन … Read more

फल तथा पुष्प शब्द के रूप – अकारान्त नपुंसकलिंग शब्द

यहाँ उदाहरण के लिए फल शब्द के रूप दिए जा रहे हैं। फल के समान वन, नयन, पुस्तक, पर्ण आदि शब्दों के रूप बनाए जा सकते हैं। फल शब्द के रूप फल अकारान्त नपुंसकलिंग जिन शब्दों में णत्व विधान कार्य करता है उन शब्दों के उदाहरण के लिए पुष्प शब्द के रूप दिए जा रहे हैं। इसी तरह से … Read more

णत्व विधान

बहुत बारे छात्रों को समस्या होती है कि – देव शब्द की तृतीया एकवचन – देवेन ऐसा होता है। परन्तु राम शब्द का तृतीया एकवन – रामेण  ऐसा होता है। क्यों? ज्ञा धातु का रूप  जानाति बनता है। परन्तु – क्री धातु का रूप क्रीणाति ऐसा होता है। नख (नाखून) इस शब्द में न है। … Read more

धातुरूपाणि

लकार प्रक्रिया के द्वारा धातु से क्रियापद बनाया जाता है। यूँ तो लकार दस प्रकार के होते हैं – लट् लिट् लुट् लृट् लेट् लोट् लङ् लिङ् लुङ् लृङ् तथापि सामान्य भाषा में तथा शालेय परीक्षा हेतु पांच लकार पर्याप्त  होते हैं – लट् – वर्तमान काल । बालकः पठति। बालक पढता है। लङ् – … Read more