संयोग किसे कहते हैं? संस्कृत व्याकरण का संयुक्ताक्षर

What is Samyoga in Sanskrit grammar? संस्कृत व्याकरण की दृष्टि से संयोग यह एक संज्ञा है। जिसे हिन्दी में संयुक्ताक्षर कहते हैं, उसे ही संस्कृत व्याकरण में संयोग इस संज्ञा से जानते हैं। मराठी में इसे जोडाक्षर भी कहते हैं। संयोग का पाणिनीय सूत्र Panini’s sutra of Samyoga हलोऽनन्ततराः संयोगः। १। १। ७॥ इस सूत्र … Read more

संहिता किसे कहते हैं – संस्कृत व्याकरण

संहिता की व्याख्या। परः सन्निकर्षः संहिता 1.4.109. संहिता कहाँ करनी चाहिए? संहिता और संयोग में भेद। संहिता और संधि में भेद

पत्रे रिक्तस्थानपूर्ति – संस्कृत पत्र में रिक्तस्थानों की पूर्ति कैसे करें? (CBSE Sanskrit)

CBSE के संस्कृत विषय की परीक्षा में छात्रों को पत्रे रिक्तस्थानपूर्ति यह एक प्रश्न होता है। एक पत्र प्रश्नपत्र (question paper) में दिया जाता है। परन्तु वह पत्र पूरा नहीं होता है। उस पत्र में कुछ शब्द नहीं होते हैं। उसे ही रिक्तस्थान कहते हैं। और ऐसे रिक्तस्थानों को योग्य शब्द से पूरा करने के … Read more

अनुच्छेदलेखनम् – संस्कृत में अनुच्छेद कैसे लिखे?

इस लेख में CBSE संस्कृत की परीक्षा में अनुच्छेद लेखन इस प्रश्न पर विचार करेंगे। अनुच्छेद लेखन यह प्रश्न चित्र वर्णन के लिए विकल्प होता है। यदि आप इस प्रश्न का उत्तर ठीक से लिखते हैं, तो इस प्रश्न में भी सभी छात्रों को पूर्ण अंक मिल सकते हैं। इस लेख में लिखित सभी बिन्दुओं … Read more

पुरुष – संस्कृत व्याकरण में पुरुष किसे कहते हैं?

उत्तमपुरुष के तीन शब्द – अहम् आवाम् वयम्, मध्यमपुरुष के तीन शब्द – त्वम् युवाम् यूयम्, इन 6 के अलावा बचे हुए सभी शब्द प्रथम पुरुष होते हैं।

संस्कृत चित्रवर्णनम् – चित्र को देख कर वाक्य लिखना (CBSE)

2021-22 में CBSE के शैक्षिक वर्ष में द्वितीय सत्र की संस्कृत विषय की परीक्षा में चित्रवर्णन से संबंधित प्रश्न होता है। इस प्रश्न में कोई एक चित्र होता है। छात्रों को चित्र को देख कर पांच-छः वाक्य संस्कृत भाषा में लिखने होते हैं। संस्कृत चित्रवर्णन का वीडिओ इस विषय से संबंधित यह वीडिओ हमने बनाया … Read more

द्वितीया विभक्ति – संस्कृत

द्वितीया विभक्ति का कारक अर्थ द्वितीया विभक्ति का कारक अर्थ होता है – कर्म (object)। कर्म की व्याख्या इस सूत्र के द्वारा की है –       कर्तुरीप्सिततमं कर्म।१।४।२९॥ कर्ता क्रिया के द्वारा जिस सबसे ज्यादा चाहता है, वह कर्म है। द्वितीया विभक्ति के सूत्र कर्मणि द्वितीया।२।३।२॥ कर्तृवाच्य/कर्तरि प्रयोग (active voice) के वाक्य में कर्म की … Read more

चतुर्थी विभक्ति

चतुर्थी विभक्ति का कारक अर्थ संप्रदान होता है। संप्रदान का सामान्य अर्थ होता है – receiver। जैसे कि – माँ बालक को रोटी देती है। यहां इस वाक्य में बालक रोटी का स्वीकार करने वाला (receiver) है। इसीलिए इसे हम संप्रदान कह सकते हैं। चतुर्थी विभक्ति के उदाहरण एकवचन में चतुर्थी के उदाहरण शिक्षक छात्र … Read more

कारक

संस्कृत व्याकरण में कारक बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं। किसी वाक्य में प्रातिपदिकों की भूमिका हम कारक की मदद से पहचान सकते हैं। क्रिया के साथ अन्वय करनेवाले को कारक कहते हैं। यहाँ अन्वय इस शब्द का अर्थ संबंध ऐसा होता है।

भाषा की परिभाषा

भाषा के बारे में वैदिक साहित्य में उल्लेख मिलता है – वाचं देवा उपजीवन्ति विश्वे वाचं गन्धर्वाः पशवो मनुष्याः। वाचीमा विश्वा भुवनान्यर्पिता सानो हवं जुषतामिन्द्र पत्नी॥ महर्षि पतंजलि के अनुसार भाषा – व्यक्ता वाचि वर्णा येषां त इमे व्यक्तवाचः। अमरकोष में भाषा के पर्यायी शब्द इस प्रकार दिए हैं – ब्राह्मी तु भारती भाषा गीर्वाग्वाणी … Read more