यण् सन्धि
इस सन्धि में य्, र्, ल् और व् ये चार आदेश होते हैं। और इन चारों को संस्कृत व्याकरण में यण् कहते हैं। इसीलिए इस सन्धि को यण् सन्धि कहते हैं।
संस्कृत कक्षा में शीतल चन्द्रप्रकाश
इस सन्धि में य्, र्, ल् और व् ये चार आदेश होते हैं। और इन चारों को संस्कृत व्याकरण में यण् कहते हैं। इसीलिए इस सन्धि को यण् सन्धि कहते हैं।
आ, ऐ, औ इन तीनों स्वरों को वृद्धि कहते हैं। तथा प्रस्तुत सन्धि में आदेश रूप में ऐ और औ ये दोनों स्वर आते हैं। इसीलिए इस सन्धि को वृद्धि सन्धि कहते हैं।
अभाव के अर्थ में निर् इस अव्यय का प्रयोग होता है।
म् का और न् का, जो पद के अन्त में नहीं है, अनुस्वार होता है झल् में
पदान्त म् का अनुस्वार होता है हल् परे रहने पर
आज की संस्कृत प्रश्नोत्तरी अनुच्छेद पर आधारित प्रश्नों की है। नीचे आप को कक्षा दशमी के शेमुषी – द्वितीयो भाग के एक पाठ से अनुच्छेद दिया जा रहा है। उसे पढ़ कर प्रश्नोत्तरी हल कीजिए। पाठ्यवस्तु पाठ – जननी तुल्यवत्सला। शेमुषी – कक्षा दशमी। अनुच्छेद कश्चित् कृषकः बलीवर्दाभ्यां . . . . . किमेवं रोदिषि? … Read more
झलों का चर् होता है खर् में।
यर् का अनुनासिक में अनुनासिक विकल्प से होता है।
स्तु का ष्टु से ष्टु होता है।
स्तु का श्चु से श्चु होता है।