पञ्च लकाराः

वैसे अगर देखा जाए तो संस्कृत भाषा में दस लकार हैं। परन्तु यदि सामान्य भाषा की दृष्टि देखा जाए तो लट्, लृट्, लङ्, लोट् औ विधिलिङ् इन पांच लकारों से ही काम चल सकता है। (उस में भी क्तवतु प्रत्यय का प्रयोग करें, तो लङ् लकार की भी आवश्यकता नहीं है।) अतः जिनको प्राथमिक संस्कृत का ज्ञान प्राप्त करना है, उनके लिए यह लेख है।

वाच्य परिवर्तन के कुछ विशेष नियम

इससे पूर्व लेखों में हम ने वाच्य परिवर्तन / प्रयोग (Voice) के सामान्य नियम देखे हैं। इस लेख में हम कुछ विशेष नियमों का अभ्यास कर रहे हैं। अकारान्त धातु का ईकारान्त होता है। आकारान्त धातुओं का अन्त्य आकार ईकार में बदल जाता है। जैसे कि – बालकः जलं पिबति। बालकेन जलं (पा + य … Read more

भाव वाच्य / भावे प्रयोग

भाव वाच्य Impersonal voice ऊपरी वीडिओ में संक्षेप से भाव वाच्य के बारे में बताया है। विस्तार से भाववाच्य पढने के लिए इस लेख को पढ़िए – भाववाच्य को समझने के क्रम में हम सर्वप्रथम क्रिया के प्रकार को समझेगे। कर्म के आधार पर क्रियाओं के दो प्रकार होते हैं – कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग … Read more

कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग

कर्मवाच्य कर्मणि प्रयोग Passive voice

कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग

जिस संस्कृत वाक्य में क्रिया कर्ता के अनुसार होती है वह कर्तृवाच्य अथवा कर्तरि प्रयोग कहा जाता है।

अभ्यास १ वाच्य परिवर्तन

रावणः सीतां नयति। रावणेन सीता नीयते। आञ्जनेयः रामं नमति। आञ्जनेयेन रामः नम्यते। बालकः रोटिकां खादति। बालकेन रोटिका खाद्यते। शिष्यः श्लोकं लिखति। शिष्येण श्लोकः लिख्यते। आचार्यः श्लोकं पाठयति। आचार्येण श्लोकः पाठ्यते। आचार्यः संस्कृतं पाठयति। आचार्येण संस्कृतं पाठ्यते। गणेशः वस्त्रं प्रक्षालयति। गणेशेन वस्त्रं प्रक्षाल्यते। छात्रः विद्यालयं गच्छति। छात्रेण विद्यालयः गम्यते। भक्तः देवस्य मूर्तिं पश्यति। भक्तेन देवस्य मूर्तिः … Read more

अपेक्षित पूर्वज्ञान

संस्कृत भाषा में वाच्य परिवर्तन / प्रयोग (Voice) को प्रयोग इस नाम से भी जाना जाता है। जिसे अंग्रेजी में Voice कहते हैं। संस्कृत भाषा में तीन वाच्य (प्रयोग) होते हैं – कर्तृवाच्य / कर्तरि प्रयोग (Active voice) कर्मवाच्य / कर्मणि प्रयोग (Passive voice) भाववाच्य / भावे प्रयोग (Impersonal voice) इस लेख में हम केवल … Read more

कति

कति को सप्त ककारों में गिना जाता है। कति एक प्रश्नार्थक अव्यय है। कति इस अव्यय का अर्थ कति इस अव्यय का अर्थ है – कितने जब भी हमे कोई संख्या पूछनी हो, तब कति इस अव्यय का प्रयोग होता है। अर्थात् जब हमारा अपेक्षित उत्तर कोई संख्या हो, तो कति इस अव्यय का प्रयोग … Read more

टाप् प्रत्यय

टाप् प्रत्यय क्या है? टाप् प्रत्यय का प्रयोग पुँल्लिंग शब्दों को स्त्रीलिंग में बदलने के लिए किया जाता है। इसीलिए इस प्रत्यय को स्त्रीप्रत्यय कहा जाता है। हालांकि केवल अकेला टाप् ही स्त्रीप्रत्यय नहीं है। संस्कृत व्याकरण में और भी स्त्रीप्रत्यय हैं – टाप्, डाप्, ङीप्, ङीष् इ॰। इस लेख में हम टाप् प्रत्यय पर … Read more

चेत्

चेत् को उभयान्वयी अव्यय (Conjuction)माना जाता है। अर्थ अर्थात् ये चेत् दो वाक्यों को जोड़ सकता है। इसका प्रयोग यदि-तर्हि (if…..then…..) के जैसा होता है। जैसे कि – मेघाः आगच्छन्ति चेत् वर्षा भविष्यति। – अगर बादल आते हैं, तो बारिश होंगी। ध्यान रखिए – चेत् के साथ यदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। जैसे कि … Read more